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खतरे में पड़ी आज़ादी
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आसमान में ज़ोरों से लुढ़कता है,
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जो शहीद हुए हैं उनकी
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'धन्यवाद!' अंत में हमारे जाने-पहचाने दोनों पुलिसवाले आए।
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'अनुकूल पवन मिलने पर दो दिन में।
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देखते ही देखते खुली हवा में चित्रकारी की कक्षा जैसी लग गई।
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और क़ुदरती तरीक़ा है.'
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और जब वे परेशान हो जाते हैं तो मैं भी पेरशान हो जाता हूँ।
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तू ही तो है राह जो सुझाए
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पंडित जी इस गॉँव को लेकर नदी-किनारे पक्का घाट, मंदिर,
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आकाश में बड़े-बड़े काले बादल घिर आए हैं और
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दादाजी शान्त थे।
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अपना आशियाँ, अपना आशियाँ..
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कचहरी-दरबार नहीं कर सकती।
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लगभग 20 दिन बाद एक बड़े डिजाइनर का शो था।
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और उनकी मांगों की अनदेखी
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दीदी, बता दो क्या कहती हैं
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वैसे भी बिजली नहीं है
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किसी ने रेवड़ियाँ ली हैं, किसी ने गुलाब जामुन,
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केरल के एक छोटे से गांव कोझिकोड में 26 नवंबर
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मोरू ने कुछ सोचा और फिर शिक्षक के पीछे भागा।
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एक फर्लांग आगे चल कर मुंशी जी को एक गली मिली।
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मुखर्जी ने एक गहरी साँस ली।
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रामचंद्र ने थाली में बचे टुकड़े से हाथ खींच लिया और
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घाट बनवाने का इरादा पक्का हो गया।
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पश्चिम का पथिक थक गया था।
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' माँ, मेरी स्कूल में कल फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन है।
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खुदा से डरो, पंच न किसी के दोस्त होते हैं,
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तुम लोग जो राह निकाल दो, उसी राह पर चलूँ।
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दो डबलरोटी के टुकड़े, बिस्कुट, एक मूँगफली का पैकेट।
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'अभी नहीं, अभी नहीं। तुम्हें थोड़ा रुकना पड़ेगा!'
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साठ के दशक में भारत में दूध की
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'अगर आप पेड़ पर रुके रहे तो बहुत पछताएँगे।'
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मेरे लिए जैसे रामधन वैसे अलगू।
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गुजरात में जौ को पोंख कहा जाता है।
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मीनू की फोटोज लाजवाब थी।
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और खटोले पर सोए बालक की
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उसे बढ़ने और सबल होने का अवसर देते हैं,
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लाखों सिर एक साथ सिजदे में झुक जाते हैं,
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मुंशी छक्कनलाल बौखलाये से घर में गये और
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और ऐसा ही हुआ!
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इस फैसले ने अलगू और जुम्मन की दोस्ती की जड़ हिला दी।
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माली को कैसे उल्लू बनाया है!
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शीशे का प्याला था खिड़की पर,
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उसने यही भूल कर दी। टाइगर उस पर झपटा।
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हाय दुर्भाग्य? दो-चार दिन पहले चेत गया होता,
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कस्तूरबा ने तय किया
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मैंने बाल्टी और घिर्री को बाँधकर सामान ऊपर चढ़वा दिया।
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यौन संबंध से दूरी बनाकर
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सुहास से इसका जिक्र किया तो वह भड़क गया|
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तैयारी कर रहा था।
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इसका मतलब है कि हर भारतवासी, गरीब से गरीब भी, यह कर देता है,
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मैं यहीं पर ठीक हूँ और
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हर सपना जब वो टूटा
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परमात्मन! इस दुर्दशा से किसी तरह मेरा उद्धार करो!
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'नहीं बेटा, मैं तुम्हें उन सुन्दर फूलों को हाथ नहीं लगाने दे सकती!
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पिछले कई वर्षों के अपने
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बोली ,'रहने दो भाभी ,बच्ची की किस्मत में तो कांटे भरे हैं ।
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चौधरी ने निराश हो कर कहा-नहीं,
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उनमें से दो ने चाय की माँग की।
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तुझे एंब्रॉयडरी आती है मेरे बुटीक में काम कर लो मैं तनख्वाह दे दूंगी।
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आशाएं ...
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'धन्यवाद!' अंत में हमारे जाने-पहचाने दोनों पुलिसवाले आए।
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सावधान न रहने से नाव टकराने का भय है।'
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‘तो बताते क्यों नहीं, कै पैसे का है?’
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जो उन्होंने फ़ौरन स्वीकार कर लिया.
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रुपया जरुर आपका लगा, पर मैं उसका देनदार हूँ।
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कि यह कहना सही होगा कि
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बाहर से कोरियोग्राफर और फोटोग्राफर बुलाए गए थे।
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मुकदमे का हाल सुना तो सन्नाटे में आ गये।
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मोरू कल्पना करता कि वह एक-एक कर के सीढ़ी चढ़ रहा है।
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'साध्वी! तेरी प्रार्थना से भगवान् ने संकटों में मेरी रक्षा की है।'
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संवाददाता ने सीढ़ी घास पर डाल दी।
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समुद्र के पानी से नमक बनायेंगे।
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बिन्नी ने घास चबाते हुए सर हिलाया, जैसे कि वह धनी की बात समझ रही थी।
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को मिश्रित कर देना चाहती थी।
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उसकी बेटी अब 5 साल की हो गई थी।
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ऐसे न्यायप्रिय, दयालु, दीन-वत्सल पुरुष बहुत कम थे,
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यहाँ जो कुछ हुआ वह सुनकर उनको धक्का लगा।
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डर जरुर बना रहता था;
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उधर मुंशी जी के मन ने कानून से नीति पर विजय पायी,
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दोनों बंदी आपस में टकराने लगे।
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तुम्हारे मन में जो आये, करो।
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जुम्मन की पत्नी करीमन रोटियों के साथ
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और ऐसा ही हुआ!
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एक मां कभी कमजोर नहीं होती।
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चंपा ने अपने दीप-स्तंभ पर से देखा
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इसको बंद कर देना चाहिए।'
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जो विजयी होगा, वह स्वामी होगा।'
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वह बहुत दूर तक सिंधु-जल में निमग्न थी।
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मैंने उनसे कहा कि दादाजी बीमार हैं।
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अपने पिता को भी इनके बीच देखकर धनी खुश हो गया।
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कुछ सोचकर तेनालीराम बोला:-
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तुझ से जिंदगी
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क्या लोग थे वो दीवाने
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'मोरू!' शिक्षक ने कड़क के कहा, 'तुम कुछ करते क्यों नहीं हो?'
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प्रतिवर्ष लगभग १०२ से.मी. वर्षा हो जाती है।
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रामचंद्र ने थाली में बचे टुकड़े से हाथ खींच लिया और
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दादाजी फिर मुस्कराए, 'क्यों, इसके खिलाफ़ कोई कानून है?'
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कल बाबा की लाठी भी बन जाऊंगी
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