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प्रसंग ea प्रकार अर्जुन के YEA पर भगवान् श्रीकृष्ण कहने लगे--
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श्रीभगवानुवाच
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काम एष क्रोधं एष रजोगुणसमुद्भव:।
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महाशनो महापाम्पा विद्धयेनमिह वैरिणम् 113911
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श्रीभगवान् बोले--रजोगुण से SIA SAT यह HA
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ही क्रोध है, यह Fed खाने aren’ अर्थात् APT से कभी
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न अघाने वाला Bit Sst पापी है, इसको St तू sa
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विषय में वैरी जान ।। ३७ |!
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Sri Bhagavan said: It is desire begotten
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| | of the element of Rajas, which appears as
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wrath; nay, it is insatiable and grossly wicked.
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Know this to be the enemy in this case. (37)
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प्रसंग --पूर्वं श्लोक में समस्त अनर्थो का मूल और इस मनुष्य को बिना gear के ord में लगाने
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। । वाला वैरी काम को बतलाया | इस पर यह जिज्ञासा होती है कि यह काम मनुष्य को किस प्रकार पापां
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(| age करता है ? ora: ora तीन श्लोकों द्वारा ae समञझाते है ae मनुष्य के ज्ञान को आच्छादित
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। | क्ररके उसे अन्घा बनाकर WT के गड्ढे में ढकेल देता है--
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धूमेनाव्रियते वह्रिर्यथादर्शो att च।
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यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम् । । ३।।
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| जाता & तथा जिस प्रकार जेर से af Sar रहता है,
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© । वैसे & St काम के aN यह ज्ञान Sar रहता
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\V ।। ३८ 11
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