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किंतु मैं जानता € ।। ५ ।।
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Sri Bhagavan said ; Arjuna, you and I have
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passed through many births, I remember
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them all; you do not remember, O chastiser ||
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of foes. (5) |
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प्रसंग --भगवान् के मुख से यह बात सुनकर कि अव तक मेरे बहुत-से जन्म हो चुके B, यह जानने | .
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की इच्छा होती है कि आपका जन्म किस प्रकार होता है और आपके जन्म में तथा अन्य लोगा के जन्म |
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# क्या भेद है । अतएव इस बात को समञझझाने के लिये भगवान् अपने जन्मका तत्त्व बतलाते है । . .
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अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन् ।
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प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय संभवाम्यात्ममायया । । ६ । ।
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मेअजन्माओरअचिनाशीस्यरूपहोतेह्रुएभीतथा
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को अधीन`करके अपनी योगमाम्ला से प्रकट होता
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ह ।। ६ ।।
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Though birthless and deathless, and the |
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Lord of all beings, I manifest Myself through । ।
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My own Yogamaya (divine potency), keeping ——
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My Nature (Prakrti) under control. (6) =
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se ree ye से उनकं जन्म का तत्य सुनने पर यह जिजञासा झेती है कि |
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आप किस-किस समय और किन-किन कारणो से इस प्रकार अवतार धारण करते Sl इस पर भगवान् | | न्नू_दुं,’,_.,
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दो श्लोकां मै अपने अवतार के अवंसर, हेतु और उद्देश्य बतलाते हैं-- NYA
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