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ma से उत्पन्न होने वाली सिद्धि शीघ्र मिल जाती
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S19 Il
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In this world of human beings; men seeking
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the fruition of their activities worship the
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gods; for success born of actions follow
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quickly. (12)
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प्रसंग —at श्लोक में भगवान् के दिव्य जन्म और कर्मो को तत्त्व से जानने का फल भगवान् की
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प्राप्ति बतलाया गया । उसके पूर्व भगवान् के जन्म की दिव्यता का विषय तो भलीभांति समझाया गया,
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Pig भगवान् के कर्मो की दिव्यता का विषय स्पष्ट नहीं Eat; इसलिये अब भगवान् दो श्लोकों में अपने
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सृष्टि-रचनादि कर्मो में कर्तापन, विषमता और स्पृहाका अभाव दिखलाकर उन कर्मो की दिव्यता का विषय
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wad हैं--
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aged मया सृष्टं गुणकर्मविभागश:।
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तस्य कर्तारमपि मां विद्धूयकर्तारमव्ययम् । । १२।। .
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ब्राह्मण, क्षत्रिय, da AK शूद्र--इन चार वर्णो का
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समूह, गुण और कर्मो के विभागपूर्वक At द्वारा रचा
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होने पर भी मुझ अविनाशी परमेश्वर को तू वास्तव H
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अकर्ता ही जान ।। १३ ।।
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The four orders of society (the Brahmana,
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the Ksatriya, the Vaisya and the Sudra) were
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created by Me classifying them according to |
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the mode of Prakrti predominant in each and
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apportioning corresponding duties to them;
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