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को प्राप्त होते हैं । और यज्ञ न करने वाले पुरुष के लिये
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dl यह मनुष्य लोक भी सुखदायक नहीं है, फिर परलोक
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he सुखदायक हो सकता है ? 1139 ।।
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Arjuna, Yogis who enjoy the nectar that
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has been left over after the perfornance of a
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serifice attain the eternal Brahma, To the
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man who does not offer sacrifice, even this
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world is not happy; how, then, can the other
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world be happy? (31)
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प्रसंग -सोलहवें श्लोक में भगवान् ने यह aret कही धी कि H तुम्हें वह कर्मतत्त्व बतलाऊँगा, जिसे
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जानकर तुम अशुभ से मुक्त हो जाओगे | उस प्रतिज्ञा के अनुसार ores श्लोक से set TH उस कर्मतत्त्व
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का वर्णन करके अब उसका उपसंहार Bat F—
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एवं बहुविधा यज्ञा वितता ब्रह्मणो मुखे ।
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कर्मजान्विद्धि तान्सवनिवं ज्ञात्वा विमोक्ष्यसे । । ३२।।
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इसी प्रकार SIX HT बहुत तरह के Gat वेद HT वाणी
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में विस्तार से He WA हैं । उन सब को TAM, Shea
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AK शरीर की क्रिया SRT GIA होने वाले AM, Fa
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Tat तत्त्व से जानकर GG अनुष्ठान द्वारा तू
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कर्मबन्धन से सर्वथा मुक्त हो जायेगा ।। ३२ ।।
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Many such forms of sacrifice have been
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set forth in detail through the mouth of the
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