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Vedas; know them all as involving the action
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of mind, senses and body. Thus knowing
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the truth about them you shall be freed
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from the bondage of action (through their
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performance). (32)
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प्रसंग — उपर्युक्त प्रकरण में भगवान् ने कई प्रकार के यज्ञां का वर्णन किया और ae बात भी कही
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कि इनके सिवा sire भी बहुत-से ag ae-greit F बतलाये गये है; इसलिये aet ae जिज्ञांसा होती है
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कि उन ast मै से कौन-सा यज्ञ श्रेष्ठ है । इस पर भगवान् कहते हैं--
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श्रेयान्द्रव्यमयाद्यज्ञाज्ञानयज्ञ WAT |
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wa कर्माखिलं पार्थ ज्ञाने परिसमाप्यते । । ३३।।
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हे परन्तप अर्जुन ! द्रव्यमय यज्ञ की अपेक्षा ज्ञान यज्ञ
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अत्यन्त श्रेष्ठ है, Ta यावन्मात्र सम्पूर्ण कर्म ज्ञान में
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समाप्त हो जाते हैं ।। ३३ ।।
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Arjuna, sacrifice through Knwoledge is
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superior to sacrifice performed with material
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things. For all actions without exception
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culminate in Knowledge, O son of Kunti. (33)
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प्रसंग --इस प्रकार ज्ञान यज्ञ की और उसके फलरूप ज्ञान की प्रशंसा करके अब भगवान् दो श्लोकों
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में ज्ञान को प्राप्त करने के लिये अर्जुन को आज्ञा देते हुए उसकी प्राप्ति का art और उसका फल बतलाते
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४
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data प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया ।
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उपदेक्ष्यन्ति ते AA ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिन: । । ३४।।
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