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में भी कर्म dere a कर्मयोग aes में सुगम होने
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से श्रेष्ठ है ।। २ ।।
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Sri Bhagavan said : The Yoga of Knowledge
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and the Yoga of Action both lead to supreme
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Bliss. Of the two, however, the Yoga of Action
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(being easier of practice) is superior to the
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Yoga of Knowledge. (2)
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प्रसंग --सांख्ययोग की अपेक्षा कर्मयोग को श्रेष्ठ बतलाया | अब उसी are को fra करने के लिये
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अगले श्लोक में कर्मयोगी at प्रशंसा करते है--
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ज्ञेय: स नित्यसंन्यासी यो न देष्टि न काङ्क्षति |
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निर्द्वन्वो हि महाबाहो Fa बन्धात्प्रमुच्यते।। ३।।
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हे अर्जुन ! जो gos न किसी से ou करता है और
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न किसी की आकांक्षा करता है, ge कर्मयोगी सदा
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से ted Fou सुखपूर्वक संसार बन्धन से मुक्त हो जाता
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है ।। ३ II
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